Friday, July 24, 2020

मेरी हकीकत। ✒️



जो तुम्हारे इश्क की रज़ा ही न होती
हमारे भी जीने की वजह ही ना होती
तो किसके लिए हम यह फरियाद करते 
चुपचाप होकर किसे याद करते 
जो तू है अगर तो यह सब कुछ सही है
बिना तेरे जीना भी जीना नहीं है
तुम ही दर्द हो और मजा भी तुम ही हो
मेरी गलतियों की सजा भी तुम ही हो
जो ग़र याद आई तो तुमको पुकारा
जो ग़र में हूं दरिया तो तुम हो किनारा
क्या कोई जुड़ा था वो रिश्ता हमारा
या कोई अधूरा था किस्सा हमारा
क्या तुम भी हो कोई ख्वाबों की रानी
वही हो जो जिसकी सुनी थी कहानी
मेरे प्यार की हर सदाकत तुम ही हो
खुदा की इबादत नजाकत तुम ही हो
दिल में मेरे बस तेरी याद बसती
तुम्हें देखने को यह आखे तरसती
सुकून ए मोहब्बत तुम्हीं से मिला है
हंसी इश्क का बस यही सिलसिला है
मेरी रूह में तुम सदा हर घड़ी हो
मेरी जिंदगी के संग चल पड़ी हो
बिना तेरे हर पल मुझ में कमी है
तुम्हें प्यार करना सनम लाज़मी है
मेरी जान कभी तुम रो भी ना देना
हंसी पल अपने खो भी ना देना
जो तेरे आंसुओं को पी ना सकूंगा
तो सुन लो सनम मैं भी जीना सकूंगा
चाहे रजा इश्क की तुम न देना
रुला कर के खुद को सजा तुम ना देना

- Aviram

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